कुछ आराम करना सीख गये कुछ काम करना सीख गये. कुछ आराम करना सीख गये कुछ काम करना सीख गये.
देवहूति पूछें कपिल जी से कि प्रकृति, पुरुष और महतत्व आदि का ! देवहूति पूछें कपिल जी से कि प्रकृति, पुरुष और महतत्व आदि का !
कहाँ पे आके ये काल ठहरा मिलन हमारा मुहाल ठहरा! कहाँ पे आके ये काल ठहरा मिलन हमारा मुहाल ठहरा!
आओ मिलकर निभाएं ,कुछ कर्तव्य हमारे । आओ मिलकर निभाएं ,कुछ कर्तव्य हमारे ।
कौन जानता था कि वक्त के तेवर यूँ भी पलटते हैं! कौन जानता था कि वक्त के तेवर यूँ भी पलटते हैं!
मजदूरों की बस्ती में सब उखड़ा उखड़ा रहता है, शहर चमकता रहता है और गाँव उजड़ा रहता है। मजदूरों की बस्ती में सब उखड़ा उखड़ा रहता है, शहर चमकता रहता है और गाँव उजड़ा रहत...